राज्य नीति आयोग की संरचना एवं दायित्व -

सरकार के घोषित उद्देश्यों के अनुसरण में आयोग का गठन सर्वप्रथम राज्य योजना मण्डल के रूप में वित्त, योजना, अर्थशास्त्र और सांख्यिकी विभाग के संकल्प दिनांक 10.01.2001 के माध्यम से किया गया एवं आयोग पर राज्य के सभी संसाधनों का मूल्यांकन करने, कम संसाधनों को बढ़ाने, संसाधनों के सबसे प्रभावी और संतुलित उपयोग के लिए योजना तैयार करने और जिला योजना अधिकारियों को जिला योजना तैयार करने और प्राथमिकताएं निर्धारित करने में सहायता करने की जिम्मेदारी सौंपी गई।

जुलाई 2010 में राज्य योजना बोर्ड का नाम बदलकर राज्य योजना आयोग किया गया। आयोग का पुनर्गठन वर्श 2014 में किया गया एवं 4 सरकारी सदस्य (मंत्री), 5 अशासकीय सदस्य, 2 स्थायी सदस्य, 1 अंशकालिक सदस्य और 3 स्थायी आमंत्रित सदस्य शामिल किया गया।

आयोग का पुनर्गठन पुनः वर्ष 7 जनवरी, 2020 में किया गया। तदोपरांत राज्य शासन के आदेश दिनांक 7 जनवरी 2020 द्वारा नीति आयोग के तर्ज पर छत्तीसगढ़ राज्य योजना आयोग का पुनर्गठन एवं आयोग के दायित्वों को पुनर्निधारित करते हुए योजना आयोग को और ज्यादा व्यापक भूमिका और दायित्व सौंपे गए।

मार्च 2024 में राज्य योजना आयोग का नाम परिवर्तित कर राज्य नीति आयोग किया गया।

श्री विष्णु देव साय माननीय मुख्यमंत्री, छ.ग. षासन राज्य योजना आयोग के पदेन अध्यक्ष है, एवं उपाध्यक्ष श्री अजय सिंह हैं।

आयोग की संरचना निम्नानुसार है -

माननीय मुख्यमंत्रीजी अथवा उनके द्वारा नामांकित व्यक्ति

अध्यक्ष

पूर्णकालिक उपाध्यक्ष

राज्य शासन द्वारा मनोनीत

पदेन सदस्य (4)

राज्य मंत्री परिषद् से माननीय मुख्यमंत्रीजी द्वारा मनोनीत

पूर्णकालिक सदस्य (1)

राज्य शासन द्वारा मनोनीत

अशासकीय सदस्य (3)

कृषि, उद्योग, शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक क्षेत्र, अर्थशास्त्र से अधिकतम 03 लब्ध प्रतिष्ठित व्यक्ति (राज्य शासन द्वारा मनोनीत)

अंशकालीन सदस्य (2)

अधिकतम 2 सदस्य. राज्य के प्रमुख विश्वविद्यालयों, शोध संस्थानों एवं अन्य प्रासंगिक संस्थाओं से पदेन सदस्य के रूप में ( एक वर्ष के चक्रीय आधार पर) राज्य शासन द्वारा मनोनीत

स्थाई आमंत्रित

1. मुख्य सचिव
2. भारसाधक सचिव वित्त/योजना आर्थिक एवं सांख्यिकी / पंचायत एवं ग्रामीण विकास/ नगरीय प्रशासन एवं विकास/कृषि विज्ञान एवं किसान कल्याण तथा जैव प्रौद्योगिकी/ आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास विभाग

पूर्णकालिक सदस्य सचिव

शासन द्वारा पदस्थ सचिव स्तरीय अधिकारी

नए परिदृश्य में, आयोग को नई व्यापक भूमिका और जिम्मेदारी सौंपी गयी है जिसमें शामिल हैं -

  • राज्य में सतत् विकास लक्ष्य (SDG) के क्रियान्वयन, प्रगति की समीक्षा एवं मूल्यांकन |
  • राज्य के आर्थिक एवं मानव संसाधनों का मूल्यांकन कर उनके सर्वाधिक प्रभावी उपयोग एवं राज्य के समस्त क्षेत्रों के संतुलित विकास के उपाय सुझाना |
  • सतत् संपोषणीय विकास (SDG)तथा "जन घोषणा पत्र" के उद्देश्यों एवं "इंटर- जनरेशनल इक्विटी" के सिद्धांत को केंद्र में रखकर योजना निर्माण के सन्दर्भ में विभागों को सुझाव देना |
  • विकेन्द्रीकृत योजना (Decentralized Planning) निर्माण , समीक्षा एवं इन योजनओं के आधार पर संसाधन वितरण की प्राथमिकता निर्धारित करने के लिए राज्य शासन को समय - समय पर सुझाव देना |
  • शासन द्वारा संचालित योजनओं एवं कार्यक्रमों की प्रगति की आवश्यकतानुसार समीक्षा एवं मूल्यांकन (Evaluation) करना तथा उनमें सुधार के संबंध में शासन को सुझाव देना |
  • विभिन्न सेक्टर्स में राज्य के विकास के लिए उपयोगी निदानात्मक/विश्लेषणात्मक अध्ययन प्रायोजित करना एवं राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर सफल पाई गई नीतियों व Best Practices का अध्यनन कर राज्य में लागू कियेजानेके संदर्भ में राय देना |
  • नवाचारों का अध्यनन कर प्रोत्साहित करने हेतु शासन को सुझाव देना |
  • शासन एवं शासनेत्त्तर विषयों पर राष्ट्रीय एवं वैश्विक स्तर पर अपनायी जा रही नीतियों का अध्ययन करना व राज्य के लिए नीति नेतृत्व (Policy Lead) प्रदान करते हुये Think Tank के रूप में कार्य करना |
  • समय-समय पर माननीय मुख्यमंत्री जी एवं अध्यक्ष , राज्य नीति आयोग द्वारा प्रदत्त अन्य कार्यो को सम्पादित करना |

आयोग को सौंपी नए दायित्व के निर्वहन के लिए आयोग ने 14 टास्क फोर्सेस का निर्माण किया है, जिसमे देश-प्रदेश से लब्धप्रतिष्ठित विषय- विशेषज्ञों को शामिल किया गया है.

  • कृषि , जल संवर्धन ,खाद्य प्रसंस्करण एवं सम्बद्ध क्षेत्रों के विकास
  • पर्यावरण प्रबंधन
  • सामाजिक सुरक्षा , महिला सशक्तीकरण , श्रमिक कल्याण
  • कला, पर्यटन , पुरातत्व एवं संस्कृति संबर्धन
  • स्वास्थ्य पोषण एवं खाद्य सुरक्षा
  • खेल एवं युवा कल्याण
  • वित्तीय संसाधन विस्तार एवं प्रबंधन
  • ग्रामीण , ग्रामीण विकास एवं प्रबंधन
  • शहरी विकास एवं प्रबंधन
  • आदिवासी विकास ,वन एवं वन्य जीव प्रबन्धन ,लघु वनोपज प्रबन्धन क्षेत्रों का विकास
  • उच्च शिक्षा
  • स्कूल शिक्षाा
  • उद्योग , ग्रामोद्योग ,कौशल विकास ,तकनीकी शिक्षा तथा रोजगार
  • सहभागी लोकतंत्र एवं विकेन्द्रीकृत योजना निर्माण

 

Back To Previous Page | Page last updated date: 11-03-2024

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